Monday, March 25, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से मुलायम-अखिलेश के खिलाफ जांच की रिपोर्ट मांगी

नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के 12 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई से केस की जांच रिपोर्ट मांगी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि छह साल पहले जांच पूरी होने के बावजूद सीबीआई ने इसकी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

मुलायम के वकील की दलील खारिज
चीफ जस्टिस ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है, इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए। अब अदालत जानना चाहती है कि इस केस में क्या हुआ। केस दर्ज हुआ या नहीं। वहीं, मुलायम के वकील ने चुनाव के वक्त ऐसी याचिका का विरोध किया और कहा कि कल सब अखबारों में यह खबर होगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वक्त से कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्या हुआ हमें जानना है।

राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें सीबीआई को मुलायम, अखिलेश, उनकी पत्नी डिम्पल यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ केस चलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। यह केस भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत चलाया जाना था।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2007 में चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर सीबीआई को मुलायम, अखिलेश, डिम्पल और प्रतीक यादव की संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था। हालांकि, 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिम्पल को इस मामले से यह कहकर बाहर कर दिया था कि वह किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थीं।

नई दिल्ली. 20 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों के लिए 11 अप्रैल को होने वाले पहले चरण के चुनाव लिए नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है। हेमा मालिनी ने मथुरा लोकसभा सीट से अपना नामांकन भरा। उन्होंने कहा, ''ये मेरा आखिरी चुनाव होगा, इसके बाद चुनाव नहीं लडूंगी। पांच साल में कुछ ऐसा मथुरा के लिए करके जाऊंगी, यहां की जनता मुझे याद करेगी।'' उधर, कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने भी पर्चा दाखिल किया।

आखिरी चरण का मतदान 19 मई को

लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने हैं। आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होगा। नतीजे 23 मई को आएंगे। पहले चरण के नामांकन पत्रों की जांच 26 मार्च को होगी। 28 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।

पहले चरण के तहत आंध्रप्रदेश की सभी 25, तेलंगाना की 17 उत्तरप्रदेश की आठ, महाराष्ट्र की सात, असम और उत्तराखंड की पांच-पांच, बिहार और ओडिशा की चार-चार, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर की दो-दो तथा छत्तीसगढ़, मिजोरम, सिक्कम, त्रिपुरा, मणिपुर, अंडमान, लक्षद्वीप और लद्दाख की एक-एक लोकसभा सीटों के लिए मतदान होना है।

Monday, March 18, 2019

Infinity V डिस्प्ले वाले Galaxy A10 की बिक्री शुरू, कीमत 8,490 रुपये

सैमसंग के नए अफोर्डेबल स्मार्टफोन Galaxy A10 की बिक्री शुरू हो गई है. इसे रिटेल स्टोर्स और ऑनलाइन स्टोर्स पर बेचा जा रहा है. यानी आप इसे ऐमेजॉन और फ्लिपकार्ट से भी खरीद सकते हैं.  कंपनी ने इसे पिछले महीने लॉन्च किया था. इस फोन की कीमत 8,490 रुपये है और ये रेड, ब्लू और ब्लैक कलर वेरिएंट्स में उपलब्ध होगा. 

Galaxy A10 में Infinity V डिस्प्ले दी गई है और इसकी डिस्प्ले 6.2 इंच की एचडी प्लस है. इस स्मार्टफोनन में Exynos 7884 प्रॉसेसर है और इसमें 2GB रैम दिया गया है. इंटर्नल मेमोरी 32GB है जिसे माइक्रो एसडी कार्ड के जरिए बढ़ा कर 512GB तक किया जा सकता है.

फोटॉग्रफी के लिए Samsung Galaxy A10 में सिंगल रियर कैमरा दिया गया है जो 13 मेगापिक्सल का है. इसका अपर्चर f/1.9 है. सेल्फी के लिए इसमें 5 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दिया गया है. Galaxy A10 में 3,400mAh की बैटरी दी गई है.

कनेक्टिविटी के लिए इसमें डुअल सिम ऑप्शन दिया गया है और यूएसबी 2.0 दिया गया है. इसके अलावा स्टैंर्ड फीचर्स भी हैं जिसमें ब्लूटूथ, वाईफाई और 4G जैसे फीचर्स हैं. Galaxy A10 के साथ पिछले महीने सैमसंग ने Galaxy A30 और Galaxy A50 भी लॉन्त किया था और इनकी बिक्री लॉन्च के बाद शुरू कर दी गई थीं.

Galaxy A10 में सैमसंग ने One UI दिया है जो Android 9 Pie पर बेस्ड है. आपको बता दें कि कंपनी ने हाल ही में Galaxy S10, Galaxy S10 Plus भी लॉन्च किया है जिसमें One UI दिया गया है.  Galaxy A10 को भारत में शाओमी के बजट स्मार्टफोन से टक्कर मिलेगी. 

पुलिस ने बताया कि वाघेला परिवार को चोरी के बारे में तब पता चला जब एक शादी में जाने के लिए परिवार वालों ने अलमारी को खोला. उन्होंने देखा कि अलमार में ना तो कैश है और ना ही गहने. इसके बाद बाकी जगह भी तलाशी की गई लेकिन घर में गहने नहीं मिले. इसके बाद पेथापुर के पुलिस थाने में वाघेला के करीबी सूर्य सिंह चावड़ा ने एफआईआर दर्ज की है, जिसके बाद पुलिस अब मामले की जांच कर रही है.

नीदरलैंड के उट्रेक्ट शहर में सोमवार को एक ट्राम में अंधाधुंध गोलीबारी किए जाने की घटना में कई लोग घायल हो गए हैं.  उट्रेक्ट पुलिस के ट्विटर अकाउंट में कहा गया है कि गोलीबारी की घटना में कई लोगों के घायल होने की खबर है. सहायता अभियान चलाया जा रहा है. गोलीबारी की इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है.

डच समाचार एजेंसी एएनपी ने यह जानकारी दी है. एएनपी ने अपने एक बयान में कहा ककि मृतक एक चादर से पूरी तरह ढका हुआ था और दो ट्रामों के बीच पटरियों पर पड़ा था. हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. उट्रेक्ट पुलिस ने जानकारी दी है कि गोलीबारी की यह घटना एक ट्राम में हुई, मदद के लिए कई हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं. पुलिस ने बताया कि इस घटना में आतंकी शामिल हो सकते हैं.

Friday, March 15, 2019

न्यूजीलैंड शूटिंग: गहरी हैं व्हाइट सुप्रीमेसी की जड़ें, नस्लवाद दे रहा है खाद-पानी

न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च शहर की अल नूर मस्जिद में शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिटिश मूल के युवक ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर कई श्रद्धालुओं को मौत के घाट उतार दिया. 28 वर्षीय हमलावर ब्रेंटन टैरेंट पर श्वेत वर्चस्व (White Supremacy) कायम करने की सनक सवार थी. व्हाइट सुप्रीमेसी की अवधारणा जातीय राष्ट्रवाद और नाजी जर्मनी में हिटलर की अगुवाई में आर्य कुलवंश के पुनरुत्थान के इर्द गिर्द घूमती है. जिसमें श्वेत लोगों के कष्टों के लिए बाहर से आकर बसे लोगों को जिम्मेदार माना जाता है.

न्यूजीलैंड के हमलावर ने इस आतंकी घटना को अंजाम देने से पहले अपने मैनिफेस्टो 'दि ग्रेट रिप्लेसमेंट' में लिखा, 'आक्रमणकारियों को दिखाना है कि हमारी भूमि कभी भी उनकी भूमि नहीं होगी, हमारे घर हमारे अपने हैं और जब तक एक श्वेत व्यक्ति रहेगा, तब तक वे कभी जीत नहीं पाएंगे. ये हमारी भूमि है और वे कभी भी हमारे लोगों की जगह नहीं ले पाएंगे.' कुछ ऐसा ही हिटलर के जमाने में नाजी जर्मनी में भी हुआ था जब उसने आर्य कुलवंश के पुनरुत्थान की मांग की और जर्मनी के सारे कष्टों का दोषी यहूदियों को ठहराया.

नाजी जर्मनी की हार के 70 साल बाद भी जातीय राष्ट्रवादी और व्हाइट सुप्रीमैसिस्ट आंदोलनों का यूरोपीय देशों में पनपना जारी है. इनमें कुछ घोर दक्षिणपंथी राजनीतिक दल, नव-नाजी आंदोलन और गैर राजनीतिक संगठन शामिल हैं. जिनमें कुछ समूह खुलेआम हिंसक श्वेत वर्चस्व कायम करने के पैरोकार हैं, जबकि अन्य लोकलुभावनवाद की आड़ में अपने कट्टरपंथी रुख का प्रचार करते हैं.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रोफेसर चिंतामणी महापात्रा का मानना है कि इस तरह की घटना पहले भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में होती रही है. एक तरह से इसे लोन वुल्फ सिंड्रोम कहा जा सकता है, जिसमें हमलावर सोशल मीडिया या मुख्यधारा की मीडिया से प्रभावित होकर इस तरह की घटना को अंजाम देते हैं. इनका सीधा ताल्लुक किसी संगठन से नहीं होता है. इस तरह के व्हाइट सुप्रीमैसिस्ट संगठन यूरोप और अमेरिका में हैं, जो श्वेत वर्चस्व कायम करना चाहते हैं.

प्रोफेसर महापात्रा का कहना है कि न्यूजीलैंड में बड़ी संख्या में भारतीय और एशियाई आबादी रहती है. इसके साथ ही ब्रिटिश मूल के लोग भी वहां काफी संख्या में हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि हमलावर ने मस्जिद में घटना को अंजाम दिया है. अगर वो अन्य एशियाई देशों के अप्रवासियों के खिलाफ होता तो किसी मार्केट या अन्य सार्वजनिक जगह पर जाकर गोलियां चला सकता था. लेकिन उसने खासतौर पर एक धर्म विशेष के लोगों को ही निशाना बनाया है लिहाजा माना जा सकता है कि वो इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ हो.

न्यूजीलैंड के हमलावर ने अपने मैनीफेस्टो में लिखा है कि यूरोपीय लोगों की संख्या हर रोज कम होने के साथ वे बूढ़े और कमजोर हो रहे हैं. उसका कहना है कि हमारी फर्टिलिटी रेट कम है, लेकिन बाहर से आए अप्रवासियों की फर्टिलिटी रेट ज्यादा है लिहाजा एक दिन ये लोग श्वेत लोगों से उनकी भूमि छीन लेंगे. ठीक इसी तरह ही व्हाइट सुप्रीमैसिस्ट संगठन भी दावा करते हैं कि वे अप्रवासियों और जातीय अल्पसंख्यकों द्वारा खड़ी की गई आर्थिक और सांस्कृतिक खतरों से अपनी आजीविका को संरक्षित करके औसत मेहनती यूरोपीय लोगों की रक्षा करने का प्रयास कर रहे हैं.

प्रो. चितामणी महापात्रा का कहना है कि आम तौर पर देखा गया है कि जब इन देशों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है तो इस तरह की घटनाएं नहीं होती. लेकिन ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता आने के साथ ही वैश्विक स्तर पर मंदी का दौर चल रहा है. इसलिए इस तरह के हमले का कारण सांस्कृतिक और आर्थिक अनिश्चितता हो सकता है.

यूरोप में कई घोर दक्षिणपंथी दलों ने अप्रवासी विरोधी और विशेष रूप से मुस्लिम-विरोधी जेनोफोबिया (विदेशी लोगों को नापसंद करना) को अपनी पार्टी के प्लेटफार्म पर नैतिक-राष्ट्रवाद की अवधारणा के माध्यम से प्रभावित किया है. इनका विचार है कि एक राष्ट्र को एक जातीयता से बनाया जाना चाहिए. ये दल बहुसंस्कृतिवाद को मूल राष्ट्रीय पहचान के विनाश के लिए एक कोड़ के रूप में देखते हैं.

Monday, March 11, 2019

मैथ्यू हेडन ने माना- युजवेंद्र चहल की तुलना में कुलदीप यादव को खेलना मुश्किल

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन का मानना है कि ‘शेन वॉर्न की तरह के ड्रिफ्ट’ के कारण कुलदीप यादव का सामना करना युजवेंद्र चहल की तुलना में अधिक मुश्किल है. कुलदीप और चहल ने छोटे प्रारूप में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को परेशान किया है.

इस बारे में पूछने पर हेडन ने पीटीआई से कहा, ‘लेग स्पिनर आपको विकल्प और विविधता देते हैं. विशेष तौर पर अगर आप कुलदीप को देखें, तो उनका मजबूत पक्ष यह नहीं है कि वह गेंद को कितना अधिक स्पिन करा सकते हैं, बल्कि यह है कि उनकी गेंदें शेन वॉर्न की गेंदों की तरह बल्लेबाज तक पहुंचती हैं.’

ये भी पढ़ें- जसप्रीत बुमराह के इस खास एक्शन को एक्सपर्ट्स ने बताया पीठ के लिए खतरा

अपने शीर्ष समय के दौरान हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के खिलाफ काफी सफल रहे हेडन का हालांकि मानना है कि चहल का सामना किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘चहल अलग तरह के गेंदबाज हैं. वह स्टंप पर गेंदबाजी करते हैं. वह सपाट और सीधी गेंद फेंकते हैं. उन्हें ड्रिफ्ट नहीं मिलता. अगर मैं खिलाड़ी होता, तो मैं चहल का सामना करने को प्राथमिकता देता, क्योंकि उन्हें ड्रिफ्ट नहीं मिलता.’

ऑस्ट्रेलिया के लिए 8000 से अधिक टेस्ट और 6000 से अधिक वनडे रन बनाने वाले हेडन ने अंगुली के स्पिनरों के सीमित ओवरों के प्रारूप में अधिक सफल नहीं होने के संदर्भ में कहा, ‘ऑफ स्पिनरों ने बल्लेबाजों को रोकने की कला सीख ली थी, जिसके कारण वे निश्चित समय तक हावी रहे.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन अब खिलाड़ी ऑफ स्पिनरों की सपाट गेंदों के आदी हो गए हैं. ऑफ स्पिनर गति में विविधता लाने की कला भूल गए हैं.’ हेडन ने इसके लिए नागपुर में दूसरे वनडे मैच में नाथन लियोन का उदाहरण दिया और इस ऑफ स्पिनर के दोनों स्पेल की तुलना की.

143 रन ठोक गब्बर बोले- आलोचनाओं का पता नहीं, अपनी दुनिया में जीता हूं

उन्होंने कहा, ‘उनके दूसरे स्पेल के दौरान गति 80 से 82 किमी प्रति घंटे के आसपास थी, जो पहले स्पेल में 90 से 92 किमी प्रति घंटे थी. इसमें स्पष्ट तौर पर 10 किमी प्रति घंटे की कमी थी. अचानक उन्हें खेलना मुश्किल हो गया.’

हेडन को इसमें कोई संदेह नहीं कि गेंदबाजों को अगर सफल होना है, तो उन्हें सीमित ओवरों के क्रिकेट में इस तरह का साहस दिखाना होगा. उन्होंने कहा, ‘उनके साथ साहस का मुद्दा होता है, जब वे रन नहीं देना चाहते. टेस्ट मैचों में वह रन रोकने की जगह विकेट लेने वाले बन जाते हैं. यही अंतर है.’ हेडन को खुशी है कि ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज केदार जाधव को अलग लाइन और लेंथ के साथ गेंदबाजी करने के लिए मजबूर करने में सफल रहे.

Tuesday, March 5, 2019

भारत के बाद अब ईरान से डरा पाकिस्तान, इमरान ने भेजा अपना मंत्री

भारत की ओर से की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान को ईरान से भी ऐसे ही हमले का डर सता रहा है. इस डर को दूर करने के लिए पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद मंगलवार को ईरान की तीन दिनों की यात्रा पर रवाना हुए. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी मंत्री ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी को अपने प्रधानमंत्री इमरान खान का संदेश देने गए हैं. इस बीच, रशीद ईरानी नेता से भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बारे में भी बात करेंगे. वहीं, ईरानी खुफिया विभाग के उप प्रमुख ने कहा कि अगर पाकिस्तानी सरकार आतंकवादियों को दबाने के लिए कार्रवाई नहीं करती है, तो ईरान स्थिति के अनुसार करेगा.

बता दें, भारत के पुलवामा में हुए आतंकी हमले से ठीक एक दिन पहले यानी 13 फरवरी, 2019 को ईरान में भी एक आत्मघाती बम धमाका हुआ, जिसमें IRGC के जवानों को ले जा रही बस को निशाना बनाया गया था. इस हमले में 27 गार्ड मारे गए. यह हमला ईरान-पाकिस्तान की सीमा से लगे अस्थिर क्षेत्र जाहेदान और खश शहरों के बीच हुआ. जहां इस हमले के बाद सड़क पर खून और मलबा दिखाई दे रहा था. इस हादसे के बाद वहां की सरकार सकते में थी. क्योंकि IRGC ईरान का सबसे शक्तिशाली सुरक्षा बल है, जो सीधे देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खमेनी को रिपोर्ट करता है.

हमले के बाद IRGC के कमांडर-इन-चीफ मोहम्मद अली जाफरी ने कहा कि इससे पहले ईरान अपना 'बदला' ले, पाकिस्तान को इस आतंकी संगठन के खिलाफ फौरन कार्रवाई करनी चाहिए. ईरानी मीडिया में छपे सरकारी बयानों के मुताबिक अगर पाकिस्तान जैश-अल-अदल को सजा देने में नाकाम रहा तो ईरान अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर आतंकवादियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा. वहीं, ईरान के उप विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अरगाची ने कुछ दिन पहले ही ट्वीट किया था कि बीते कुछ दिनों में ईरान और भारत आतंकवाद की घृणित कार्रवाई का शिकार हुए हैं. इस हमले की वजह से दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है. हाल ही में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ मीटिंग में हमने इस क्षेत्र में आंतकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है. 

आखिर क्या है जैश-अल-अदल?

पाकिस्तान की पनाह में बैठकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भारत के खिलाफ साजिश रचता है. ऐसा ही एक पाक परस्त आतंकी संगठन ईरान में भी सक्रिय है, जिसका नाम है जैश-अल-अदल. ये पाकिस्तान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय एक सलाफ़ी जिहादी आतंकवादी संगठन है. जो ईरान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेते हुए भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से ऐन पहले अपने किले को दुरुस्त करने में जुट गई है. प्रदेश में  दो दशक के बाद पहली बार आदिवासी वोट बैंक बीजेपी के हाथों से फिसला है. ऐसे में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोकसभा सीटों पर बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल रही है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूबे के धार में रैली के जरिए आदिवासियों को साधने के लिए आज उतर रहे हैं.

एमपी में आदिवासी राजनीति

 मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग की आबादी करीब 23 फीसदी है. प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, जिनमें शहडोल, मंडला, बैतूल, खरगोन, धार और रतलाम शामिल है. 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी छह सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन रतलाम सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से ये सीट छीन ली.

बीजेपी से छिटक रहा आदिवासी

मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाता बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते थे, लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस वोटबैंक में सेंधमारी में कामयाब रही है. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटों पर बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. मध्य प्रदेश के मालवा से लेकर महाकौशल इलाके तक में बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. ऐसे में अगर यही वोटिंग पैटर्न रहा तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए अपने किले को संभाल पाना मुश्किल हो जाएगा.