Monday, February 25, 2019

官方通报森林草原防灭火督查工作:仍存不少隐患

  中新网2月25日电 据应急管理部网站消息,国家森林草原防灭火指挥部办公室25日发布关于森林草原防灭火督查工作情况的通报。通报指出,1月29日至2月16日,国家森林草原防灭火指挥部办公室组织对北京等10省(区、市)森林草原防灭火工作进行了督查。在检查期间,发现了一些地方森林草原防灭火工作存在的薄弱环节和隐患问题。

  通报称,一是对森林草原防灭火工作面临的新形势、新任务、新要求认识不到位,工作要求不够高。四川、云南两省一些地市对2月份以来火灾多发的不利局面没有引起高度重视,工作标准不高、要求不严,满足于没有发生重特大森林草原火灾和人员伤亡事故,仍然沿袭常规的工作思路和工作手段。江西省去冬今春降雨量较大,部分基层干部存在思想松懈苗头,防火责任和措施落实还不够到位。此外,大部分市县两级应急管理局正在组建,部分市县两级林业局撤销或者合并,森林公安体制改革已经全面启动,一些领导干部对森林草原防灭火工作业务衔接的紧迫性重视不够。

  二是森林草原防灭火工作职责不明晰,部门职能未能完全落地。10省(区、市)省级林草部门森林草原防灭火工作人员转隶基本完成,但森林草原防灭火指挥部正在调整组建,组织、协调、指导职能存在一定“空转”现象。大部分省(区、市)应急管理部门和林草部门权责清单还不够清晰、分工还不够明确,部门之间“踢皮球”、“打太极”的现象还不同程度存在,分工合作机制亟待完善,行业管理责任亟需加强,部门职能事权划分应尽快落地。

  三是火灾防控责任落实不到位,基层布控网络存在盲区死角。部分地区属地党政领导责任落实有漏洞,特别是县、乡两级责任尚未完全压实。福建省在下达禁火令的情况下,自宁德市蕉城区前往古田县公路沿线仍有零星烧荒烧垃圾等野外用火情况。广西壮族自治区东兰县神仙山附近村庄有村民燃放烟花爆竹、焚烧稻草现象,存在较大火灾隐患。四川省雅安市碧峰峡景区隐患整治工作不彻底。工作组在前往凉山州西昌市川兴镇“2·11”森林火灾现场途中发现农民烤火的火堆和随意丢弃的烟头烟盒,林区移民搬迁后废弃房屋没有得到及时处置,为人员随意入住擅自用火引发火灾埋下隐患。实地查看云南大理州大理市海东镇“2·9”森林火灾现场途中,发现村民在林内吸烟。

  四是一些地区传统民俗、祭祀用火较多,火灾隐患比较突出。在南方林区牧区,丧葬、节令、祭祀、耕作等方面传统用火普遍存在。今年春节期间,云南、四川等地多起森林草原火灾系上坟烧纸、燃放烟花爆竹等民俗用火引发。在检查中发现,云南大理海东白族民舍外燃烧的香烛有一米高碗口粗,一旦突遇大风吹进附近山林,极易引发森林火灾。此外,由于少数民族民居木结构较多,存在“家火上山”和“山火入户”形成火烧连营的风险。

  五是有些地方应急力量建设还比较薄弱,管理不够规范。河北省怀来县东花园镇森林防火预案针对性不强,缺乏操作性。江西省吉安市吉水县专业扑火队预案修订不及时。福建省宁德市蕉城区专业扑火队未能够保持24小时人员待命,灭火力量夜间未实施集中备勤,应急响应能力不足。湖南省常德市桃源县专业扑火队战备、训练不够规范,装备维护保养不到位,部分灭火机具无法启动;岳阳市平江县部分新灭火机具未进行磨合,达不到最佳性能状态。湖北省鄂州市鄂城区泽林、汀祖两个镇和泽林镇银山村扑火装备较为落后,风力灭火机数量少,缺乏水泵等高效灭火装备。广东省源城区、惠城区、惠东县防火物资摆放杂乱,物资管理规范化有待进一步加强。广西壮族自治区乡镇半专业队扑火装备不足,部分乡镇缺乏专用交通工具、防火设备薄弱。

  六是个别森林草原火灾应急处置不及时,指挥决策有待加强。从值班调度情况分析,个别地方发生森林火灾后不按规定及时上报信息,没有及时调动森林消防队伍和灭火飞机参加扑火,贻误了“打早、打小、打了”的最佳战机,埋下了小火酿成大灾的隐患。四川省凉山州木里县“2·10”森林火灾在初发阶段没有及时调动森林消防队伍参战,最终投入1530人和3架直升机历时3天才将火灾完全扑灭,耗费了大量人力物力;扑救云南昭通巧家县“2·6”森林火灾时对困难估计不足,迟迟未调动直升机吊灭悬崖处火点,耗时2天才将烟点处置完毕。

  通报表明,针对督查中发现的问题,10省(区、市)要对号入座、专题研究,压实责任、精准施策,建立长效机制、增强造血功能,及时整改到位、严防一查了之。其他地区也要引以为鉴,举一反三,切实做好当前特别是全国“两会”、清明节期间森林草原火灾防控工作,严防人为原因引发森林草原火灾,严防重特大森林草原火灾和人员伤亡事故。

Wednesday, February 13, 2019

15वीं लोकसभा के मुकाबले बेहतर रहा 16वीं लोकसभा का प्रदर्शन, 200 बिल हुए पारित

लोकसभा में बुधवार को बजट सत्र के आखिरी दिन सभी सांसदों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आखिरी भाषण में पांच सालों में सदन द्वारा किए गए कामों की सराहना की. इस मौके पर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के उस बयान की काफी चर्चा रही जिसमें उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि वो चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बने. बुधवार का दिन 16वीं लोकसभा का आखिरी दिन भी था लिहाजा इस बात का विश्लेषण जरूरी है कि सदन 15वीं लोकसभा के मुकाबले कितना कामयाब रही.

लोकसभा यानी निचले सदन की कामयाबी नापने का सबसे पहले पैमाना होता है कि सदन द्वारा कितने बिल पास कराए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं अपने आखिरी भाषण में इस बात का जिक्र किया कि सदन में बीते पांच साल के दौरान 200 से ज्याजा विधेयक पास हुए. अगर 15वीं लोकसभा यानी यूपीए-II के कार्यकाल की बात करें तो इस दौरान 181 विधेयक पास हुए. इस लिहाज से 15वीं लोकसभा के मुकाबले 16वीं लोकसभा में 10.49 फीसदी ज्यादा बिल पास हुए.

सदन की कार्यवाही में विभिन्न मुद्दों को लेकर व्यवधान और हंगामा भी आम बात है, ऐसे में सदन में स्थगन प्रस्ताव भी आते हैं. हालांकि इसे स्वीकार करना और इसपर चर्चा कराना स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में आता है. 16वीं में भी कई मुद्दों पर स्थगन प्रस्ताव आया लेकिन स्पीकर ने मात्र 1 स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार किया और इस पर चर्चा कराई. केंद्र की मोदी सरकार ने हंगामे के चलते सदन का समय जाया होने की वजह से 16 वीं लोकसभा में बड़ा बदलाव किया. जिससे तहत पहले प्रश्नकाल और बाद में शून्यकाल का प्रावधान रखा गया. क्योंकि अक्सर यह देखा जाता रहा है कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही शून्यकाल में सांसद हंगामा शुरू कर देते थे और पूरे दिन की कार्यवाही स्थगित हो जाती थी.

इस लिहाज 16वीं और 15वीं लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उठे मुद्दों पर नजर डालें तो पता चलेगा 16वीं लोकसभा में शून्यकाल के दौरान जहां 6198 मामले उठाए गए तो वहीं 15वीं लोकसभा में 3316 मामले उठे. इस तरह दोनों लोकसभा कार्यकाल में लगभग दोगुने यानी 87 फीसदी का अंतर रहा. इसके पीछे की वजह शून्यकाल का ज्यादा समय के लिए चलना माना जा सकता है. यही नहीं, 377 नियम के तहत उठने वाले मुद्दों में भी 16.67 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. जहां 15वीं लोकसभा में 377 नियम के तहत 4019 मामले उठे तो वहीं 16वीं लोकसभा में 4689 मामले उठे.

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की बात करें तो 15वीं लोकसभा में कुल 37 प्रस्ताव आए जबकि 16वीं लोकसभा में 18 प्रस्ताव आए. 15वीं लोकसभा में सांसदों द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा 598 बयान जारी किए गए तो वहीं 16वीं लोकसभा में 659 बयान दिए गए. तारांकित प्रश्नों की बात करें तो 15वीं लोकसभा में इस तरह के 650 प्रश्नों का जवाब दिया गया. जबकि 16वीं लोकसभा में 1169 तारांकित प्रश्नों का जवाब दिया गया. इस लिहाज से 16वीं लोकसभा में तारांकित प्रश्नों के जवाब की संख्या में 79.84 फीसदी बढ़ोतरी हुई. अगर गैर-तारांकित प्रश्नों की बात करें तो 15वीं लोकसभा में इसकी संख्या 73,160 रही जबकि 16वीं लोकसभा में गैर-तारांकित प्रश्नों की संख्या 73,405 रही.

सांसदों द्वारा उठाए गए किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर आधे घंटे की चर्चा कराने के मामले में 15वीं लोकसभा आगे रही. जहां 15वीं लोकसभा में 7 आधे घंटे की बहस हुई जबकि 16वीं लोकसभा में 5 आधे घंटे की चर्चा हुई. प्राइवेट मेंबर बिल की बात करें तो 16वीं विधानसभा में इसकी संख्या तीन गुना बढ़ी. जहां 15वीं लोकसभा में 372 प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किए गए तो वहीं 16वीं लोकसभा में 1117 प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश हुए. इसके अलावा विभिन्न समितियों की रिपोर्ट के मामले में 15वीं लोकसभा में 652 रिपोर्ट और 16वीं लोकसभा में 715 रिपोर्ट पेश किए गए.

Wednesday, February 6, 2019

उत्तर प्रदेशः क्या है बच्चों के मैदान पर गोशाला बनाने का मामला

राज्य स्तर पर वॉलीबॉल खेल चुके क़ादिर ख़ान रोज़ाना अपने स्कूल के मैदान में अभ्यास करते हैं.

उनका सपना एक दिन देश की राष्ट्रीय वॉलीबॉल टीम में जगह बनाना है. अब उनका ये सपना अधूरा रह सकता है क्योंकि यूपी सरकार उनके स्कूल के मैदान में गोशाला बनाना चाहती है.

उत्तर प्रदेश में बलरामपुर ज़िले की तुलसीपुर तहसील के फ़ज़ल-ए-रहमानिया स्कूल के बच्चों के खेल के मैदान में गोशाला बनाने के प्रस्ताव पर अब विवाद हो गया है.

स्कूली बच्चों ने अपने खेलने के हक़ को लेकर प्रदर्शन किया है जबकि प्रशासन का कहना है कि जिस ज़मीन को गोशाला बनाने के लिए चयनित किया गया है वो सरकारी है.

मैदान में गोशाला बनने के बारे में क़ादिर ख़ान कहते हैं, "सिर्फ़ मैं ही नहीं और भी बच्चे इस मैदान में अभ्यास करते हैं. अगर यहां गोशाला बन गई तो हमारा खेलना बंद हो जाएगा. सब कुछ रुक जाएगा."

बलरामपुर के ज़िलाधिकारी कृष्णा करुणेश से जब इस विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जिस ज़मीन को गोशाला बनाने के लिए चयनित किया गया है, वह सरकारी है. सरकार जैसे चाहे अपनी ज़मीन का इस्तेमाल कर सकती है."

फ़ज़ल-ए-रहमानिया इंटर कॉलेज एक अल्पसंख्यक स्कूल है, जिसे सरकार से मदद मिलती है. स्कूल की प्रबंध समिति से जुड़े शारिक़ रिज़वी कहते हैं, "सरकार जिस ज़मीन पर गोशाला बना रही है वह स्कूल प्रशासन को 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने दी थी और इससे जुड़े दस्तावेज़ हमारे पास हैं."

वो कहते हैं, "अगर यहां गोशाला बन गई तो बच्चे के पास खेलने का मैदान नहीं रहेगा. हम सरकार के इस क़दम को अदालत में भी चुनौती देंगे. हमने फिलहाल प्रशासन से फिर से विचार करने की गुज़ारिश की है."

इस आरोप पर ज़िलाधिकारी कहते हैं, "ये सरकारी ज़मीन है जिसे हमने गोशाला के लिए चयनित किया है. यहां फ़ायर स्टेशन भी प्रस्तावित है. स्कूल प्रशासन चाहता है कि ये ज़मीन उनको मिल जाए लेकिन किसी भी शासनादेश के तहत ये हम उन्हें नहीं दे सकते हैं."

उन्होंने कहा, "हमारे ज़िले में अधिकतर इंटर कॉलेज सरकारी या सार्वजनिक भूमि के निकट बने हैं. ये इंटर कॉलेज भी सरकारी ज़मीन के पास है और स्कूल प्रशासन ने ज़मीन को घेरकर स्कूल में मिलाने की कोशिश भी की है. स्कूल के पास अपना अलग से खेल का मैदान है."

गोशाला खुलने से बच्चे के स्वास्थ्य और आसपास की स्वच्छता पर असर होने के सवाल पर ज़िलाधिकारी कहते हैं, "ये क़रीब एक एकड़ ज़मीन है. इसमें चरने का मैदान भी विकसित किया जाएगा और इसकी चारदिवारी करायी जाएगी. जानवर बाहर नहीं जाएंगे."

जब उनसे पूछा गया कि क्या प्रशासन की प्राथमिकता स्कूल बच्चें से पहले गाय है तो उन्होंने कहा, "सवाल बच्चे के मैदान का नहीं है बल्कि स्कूल प्रशासन सरकारी ज़मीन स्कूल में मिलाना चाहता है."

उन्होंने कहा, "हमारी प्राथमिकता बच्चे ही हैं. अगर बच्चों के स्कूल का मैदान है तो हम वहां पर कोई दख़ल नहीं देंगे और पीछे हट जाएंगे. अगर आसपास बच्चे के पास खेलने के लिए और कोई सुरक्षित ज़मीन नहीं है तो हम पुनर्विचार करेंगे. मैंने स्थानीय एसडीएम से सभी तथ्यों का पता लगाने के लिए कहा है."

ये स्कूल नगर पंचायत पचपेड़वा के पास स्थित है और यहां गोशाला इसी नगर पंचायत के लिए बननी है. ज़मीन पर विवाद होने और बच्चों के प्रदर्शन के बाद अब नगर पंचायत ने भी यहां गोशाला न बनाने का प्रस्ताव पास करते हुए प्रशासन से कहीं और ज़मीन उपलब्ध करवाने की अपील की है.

नगर पंचायत चेयरमैन समन मलिक के पति मंज़ूर ख़ान ने बीबीसी से कहा, "हम नहीं चाहते कि बच्चों के खेलने के मैदान को लेकर गोशाला बनायी जाए. इससे लोगों में भी रोष फैल रहा है और बच्चों को भी दिक़्क़तें होंगी. हमने एक प्रस्ताव पास कर ज़िला प्रशासन से ज़मीन कहीं और आवंटित करने की अपील की है."

Monday, February 4, 2019

CBI विवाद: जब CJI बोले- सबूत मिले तो ऐसी कार्रवाई होगी कि पछताएंगे राजीव कुमार

पश्चिम बंगाल के चिटफंड केस ने पूरे देश की सियासत को गरमा दिया है. आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार से सीबीआई पूछताछ का मामला अब कोलकाता से निकलकर फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जहां केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को बड़ा झटका दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वह यह सोच भी नहीं सकते कि एक आईपीएस अफसर सबूत नष्ट कर सकता है.

रविवार को बंगाल पुलिस ने कोलकाता में सीबीआई टीम को पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर रेड से रोकते हुए उन्हें ही हिरासत में ले लिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं. ममता पुलिस के रवैये के खिलाफ आज सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सीबीआई की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट ने कहा कि आप सबूत नष्ट होने के संबंध में कोई दस्तावेज लेकर नहीं आए हैं, आप सिर्फ इल्जाम लगा रहे हैं कि सबूत नष्ट किए जा रहे हैं और उनसे छेड़छाड़ की जा रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब आप सबूत लेकर आएंगे तो कल सुबह 10.30 बजे इस मसले पर सुनवाई की जाएगी. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सॉलिसिटर जनरल ने अपनी दलील में यह बताने का प्रयास किया कि देर रात तक इस संबंध में अर्जी ड्राफ्ट तैयार किया गया है और सीबीआई के पास कई अहम चीजें हैं. लेकिन कोर्ट ने उनकी यह दलील नहीं मानी और साफ कहा कि आप सबूत नष्ट किए जाने वाले सबूत लेकर आएं, तब कल सुबह इस मसले पर सुनवाई की जाएगी.

सबूत नष्ट करने वाली बात सोच भी नहीं सकते

कोर्ट ने एक तरफ जहां सीबीआई को झटका देते हुए उनसे सबूत नष्ट होने के सबूत मांगे, वहीं राजीव कुमार के संबंध में भी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, 'जहां तक आप यह कह रहे हैं कि IPS अफसर सबूत नष्ट कर रहे हैं, तो हम ऐसा सोच भी नहीं सकते. लेकिन फिर भी जब आप ऐसा कह रहे हैं तो आप सबूतों के साथ आइए, हम कल सुबह 10.30 बजे आपको सुनेंगे.'

हालांकि, इसके अलावा कोर्ट ने एक सख्त टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि अगर सबूत होंगे तो पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर कार्रवाई होगी, और ऐसी कार्रवाई होगी कि वह पछताएंगे. वहीं, दूसरी तरफ कोर्ट रूम के बाहर जब सीबीआई अधिकारियों से आजतक संवाददाता ने सवाल किया कि आप खाली हाथ पहुंचे थे, इसके जवाब में अधिकारियों ने ऑफ रिकॉर्ड कहा कि उनसे पास काफी कुछ है.

बता दें कि पश्चिम बंगाल के शारदा चिट फंड केस की जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया था. इस जांच टीम के प्रमुख आईपीएस राजीव कुमार थे. अब वह कोलकाता के पुलिस कमिश्नर हैं और सीबीआई उन पर जांच के दौरान मिले अहम सबूत सीबीआई को न देने का आरोप लगा रही है, साथ सबूत नष्ट करने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं. इसी मसले पर सोमवार को सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत नष्ट करने के सबूत लेकर आइए, कल सुनवाई होगी.

Friday, February 1, 2019

पांच साल का कामकाज देखा है, मोदी की मानसिकता में कोई खोट नहीं : बालकृष्ण

पतंजलि ग्रुप के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण का मानना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच साल की सरकार में कुछ अच्छे काम शुरू हुए हैं। मोदी का इंटेंशन सही है, उनकी मानसिकता में खोट नहीं है। बाबा रामदेव ने 2014 के आम चुनाव के दौरान मोदी के लिए कैंपेन किया था, अब लगता है कि ठीक किया।

गुरुवार देर शाम 8.30 बजे भोपाल पहुंचे बालकृष्ण ने ‘भास्कर’ से बातचीत की। इसके बाद वे मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी निवेश की संभावनाओं और अपेक्षित सहयोग को लेकर मिले। रीवा में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की ओर से आचार्य बालकृष्ण को आज डी-लिट की उपाधि से नवाजा जाएगा। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।

सवाल - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्तमान पीएम मोदी  की नीति में क्या अंतर देखते हैं?
जवाब : मैं नीति नहीं देखता। काम करता हूं। उसी में जुटा रहता हूं। नीति कैसी और किसकी है यह देखने का काम देश और दुनिया का है। 

सवाल - आपने और बाबा रामदेव ने मोदी के स्वच्छता अभियान को प्रमोट किया है, क्या लगता है वह सफल हो गया?
जवाब : यह कठिन काम था, लेकिन मानसकिता का ही बन जाना बड़ी बात है। यह बन गई है अब परिणाम तक पहुंचने में दिक्कत नहीं होगी।

सवाल - मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से बेहतर कौन होगा? क्या निवेश का वातारण बनेगा?
जवाब : शायद आपको यह जानकारी नहीं होगी कि बाबा रामदेव का योग का पहला आयोजन मप्र में कमलनाथ जी ने ही करवाया था। मेरा तो उनसे संपर्क नहीं है, लेकिन बाबा रामदेव अच्छे से जानते हैं। शिवराज सिंह ने भी सहयोग किया, अभी भी उम्मीद है।

सवाल - क्या आपको लगता है कि बाबा रामदेव को भी भारत-रत्न दिया जाना चाहिए?
जवाब : आयुर्वेद को आगे बढ़ाने में उनका योगदान किसी से छिपा नहीं है। देश को उन्होंने गौरव दिलाया। उनके व्यक्तित्व की गहराई को मैं ज्यादा समझता हूं। खाते-पीते, सोते-जागते वे देश के बारे में सोचते हैं। उन्होंने जीवन लगा दिया। उनको यह सम्मान देते हैं तो देश का गौरव ही बढ़ेगा।  

सवाल - क्या मप्र में और निवेश करेंगे, इंदौर की इकाई से उत्पादन कब तक होगा?  
जवाब : इंदौर में एक हजार टन गेहूं की प्रोसेसिंग होने जा रही है जो वृहद है। नागपुर में संतरे की प्रोसेसिंग इकाई लगी है। शाजापुर का बी व सी ग्रेड का पूरा संतरा नागपुर ले जाएंगे। जहां तक नए निवेश की बात है तो कच्चे माल की उपलब्धता का सर्वे करा रहे हैं। जल्द ही आगे निर्णय लेंगे।