Friday, April 19, 2019

मुकेश अंबानी अलीबाबा को पीछे छोड़ने और अमेजन को टक्कर देने की तैयारी में

मुंबई. करीब 3.81 लाख करोड़ रुपए की नेटवर्थ रखने वाले मुकेश अंबानी आज 62 साल के हो गए। वे एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं। पिछले साल जुलाई में अंबानी ने चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के फाउंडर और चेयरमैन जैक मा को नेटवर्थ के मामले में पीछे कर दिया था। इसी साल जनवरी में मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने लिखा था कि अंबानी जियो के जरिए भारत के जैक मा या जेफ बेजोस बनने पर फोकस कर रहे हैं। गुरुवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज के चाैथे क्वार्टर के नतीजे आए, जिसमें कंपनी का नेट प्रॉफिट 9.8% बढ़कर रिकॉर्ड 10,362 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इसमें जियो का 840 करोड़ रुपए का प्रॉफिट शामिल है। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ने यह जाना कि देश के ई-कॉमर्स मार्केट पर अंबानी की किस तरह नजर है और क्या वे कामयाब हो सकते हैं?

1) खुद अंबानी मानते हैं कि इंटरनेट डेटा नया ऑयल है
रिलायंस इंडस्ट्रीज को सालाना 60 अरब डॉलर (4.16 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू तेल और गैस के कारोबार से मिलता है। कंपनी का मुख्य कारोबार यही है, लेकिन अंबानी ने खुद कहा था कि ‘इंटरनेट डेटा नया ऑयल’ है।

2) ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए 10 हजार स्टोर
इसी साल जनवरी में ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट' में मुकेश अंबानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कहा था, "रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो इन्फोकॉम मिलकर एक नया ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे।" रिलायंस रिटेल के देशभर में 10 हजार से ज्यादा स्टोर हैं। जियो के ग्राहकों की संख्या भी 30 करोड़ से ज्यादा है। ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जिस तरह से चीन में अलीबाबा को घरेलू कंपनी होने और सस्ती दरों पर अपनी सेवाएं और सामान बेचने का फायदा मिला, उसी तरह से भारत में भी रिलायंस को इसी तरह का फायदा मिल सकता है।

3) जैक मा का फॉर्मूला
जैक मा ने 1999 में छोटे दुकानदारों के साथ मिलकर एक चेन बनाई थी ताकि ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को देश के किसी भी कोने में स्थानीय दुकानदारों या स्टोर से सामान मिल सके। माना जा रहा है कि अंबानी भी इसी तरह की योजना बना रहे हैं। अंबानी ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहते हैं, जिससे ग्राहकों को 24 घंटे के अंदर सामान की डिलीवरी मिल सके और वे सामान से जुड़ी शिकायत ऑफलाइन ही कर सकें। जैक मा ने भी ऐसा ही किया। इसी वजह से अमेजन के बाद अलीबाबा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन सकी।

4) बेजोस का फॉर्मूला
दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपति और अमेजन के प्रमुख जेफ बेजोस ई-कॉमर्स बिजनेस को बढ़ाने के लिए अब तक 75 से ज्यादा कंपनियों में निवेश कर चुके हैं या उन्हें खरीद चुके हैं। अंबानी ने भी पिछले दो साल में 25 छोटी-छोटी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है।

5) आनंद महिंद्रा ने कहा- अंबानी अमेजन को टक्कर दे सकते हैं
टाइम मैगजीन की 100 सबसे असरदार लोगों की सूची में जब अंबानी का नाम आया तो महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने लिखा- ‘‘मुकेश अंबानी का विजन अब उनके पिता से भी ज्यादा महत्वाकांक्षी नजर आता है। जब ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए रिलायंस का बड़ा रिटेल डिविजन जियो के नेटवर्क से मिलेगा तो वह अमेजन को भी कड़ी टक्कर देगा।’’

6) अंबानी का फोकस न्यू ऐज बिजनेस पर
कॉर्पोरेट हिस्टोरियन प्रकाश बियाणी ने भास्कर प्लस ऐप को बताया कि मुकेश अंबानी का फोकस इस समय न्यू एज बिजनेस पर है। टेलीकॉम सेक्टर में जियो की लॉन्चिंग और अब ई-कॉमर्स सेक्टर में उतरने की तैयारी इसका उदाहरण है। पिछले कुछ समय से पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग जैसे ओल्ड एज बिजनेस में रिलायंस को उतना प्रॉफिट मार्जिन नहीं मिल रहा, जितना पहले मिला करता था। यही कारण है कि इन दोनों बिजनेस में 25% हिस्सेदारी सऊदी अरामको को बेचने की बात चल रही है।

7) अंबानी के सामने चुनौतियां
बियाणी बताते हैं कि पहली चुनौती है- वेयरहाउस। दूसरी- लॉजिस्टिक और तीसरी- वेंडर्स। ई-कॉमर्स बिजनेस के लिए रिलायंस को देशभर में बड़े पैमाने पर वेयरहाउस खोलने होंगे ताकि अपने प्लेटफार्म पर बेची जाने वाली चीजों का अच्छी संख्या में स्टोरेज हो सके। इसके बाद लॉजिस्टिक सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। ऑनलाइन बिजनेस में ऑनटाइम डिलीवरी की होड़ है। ऐसे में ऑर्डर के बाद समय से प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक ऑपरेशन का मजबूत होना जरूरी है। इसके बाद वेंडर्स जोड़ना भी एक बड़ी चुनौती होगी। देशभर में प्रोडक्ट से जुड़े वेंडर्स जोड़ना एकदम आसान नहीं होगा। हालांकि देशभर में रिलायंस के कारोबार का फैलाव इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।

भारत अभी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बहुत पीछे है। जब तक उत्पादन नहीं बढ़ेगा, तब तक सस्ते में सामान उपलब्ध नहीं हो सकेगा। ऐसे में जेफ बेजोस को पीछे छोड़ने के लिए मुकेश अंबानी को ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचने होंगे।

अंबानी ने कहा है कि रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो मिलकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसे शुरू करने में सबसे बड़ी समस्या डेटा शेयरिंग की है। दरअसल, रिलायंस रिटेल और रिलायंस जियो दो अलग-अलग कंपनियां हैं। डेटा प्राइवेसी के नियमों की वजह से अलग-अलग कंपनी होने के नाते दोनों अपना डेटा एक-दूसरे से शेयर नहीं कर सकतीं। हालांकि, इन दोनों कंपनियों के मर्जर से ऐसा हो सकता है। अगर दोनों कंपनियों को आपस में मिला दिया जाता है तो दो अलग-अलग कंपनियों का डेटा एक हो जाएगा और इसका इस्तेमाल ई-कॉमर्स में किया जा सकेगा।

Monday, April 15, 2019

क्या मोदी का दोबारा पीएम बनना पाकिस्तान के हक़ में होगा

पिछले हफ़्ते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने रिपोर्टरों से बातचीत करते हुए कहा था कि अगर बीजेपी फिर से चुनाव जीत जाती है तो 'शांति वार्ता की संभावनाएं' ज़्यादा रहेंगी.

इमरान ख़ान का तर्क है कि हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी बीजेपी की तुलना में विपक्षी पार्टी कांग्रेस कश्मीर मसले पर बात करने में डरी रहती है.

हालांकि, इमरान ख़ान के इस बयान को कई तरह से देखा गया. बीजेपी अक्सर कांग्रेस पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाती है लेकिन इमरान ख़ान के बयान से कांग्रेस को भी मौक़ा मिल गया और उसने कहना शुरू कर दिया कि बीजेपी का पाकिस्तान के साथ गठजोड़ है.

एक तर्क ये भी दिया जा रहा है कि असल में पाकिस्तानी पीएम ने ऐसा कहकर भारत की विपक्षी पार्टियों की मदद की है. लेकिन इमरान ख़ान ने जो कहा है, उसमें कितनी सच्चाई है और उसका क्या मतलब है? सवाल है कि क्या इमरान ख़ान वाक़ई चाहते हैं कि मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनें?

पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है और भारत सेक्युलर देश. दूसरी तरफ़ भारत के भीतर एक तबके को लगता है कि बीजेपी ने देश की धर्मनिरपेक्षता को कमज़ोर किया है. ऐसे में इमरान ख़ान क्या केवल शांतिवार्ता की संभावनाओं के कारण मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं?

पाकिस्तान के इतिहासकार मुबारक़ अली का मानना है कि उनके मुल्क की सियासी पार्टियों और जिहादी धड़ों को भारत में हिन्दूवादी पार्टी बीजेपी का सत्ता में रहना रास आना कोई चौंकाने वाला नहीं है.

मुबारक़ अली कहते हैं कि हिन्दुस्तान में हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी के मज़बूत होने से यहां की सियासी पार्टियों और जिहादी धड़ों को खाद-पानी मिलता है.

मुबारक अली कहते हैं, ''पाकिस्तान और भारत दोनों में अतिवादी हैं. पाकिस्तान में एक आम धारणा है कि दो अतिवादी मिलकर कोई सही फ़ैसला कर सकते हैं. पाकिस्तान को लगता है कि हिन्दु्स्तान में कोई अतिवादी शासक होगा तो वो लोकतांत्रिक मूल्यों को धक्का दे सकता है, अवाम की राय का उल्लंघन कर सकता है और अपनी सोच को थोप सकता है. पाकिस्तान में ज़्यादातर पार्टियां अतिवादी हैं और एंटी इंडिया भावना के लिए बीजेपी का सत्ता में रहना उन्हें भाता है. भारत में जब भी अतिवादी पार्टी सत्ता में आती है तो इससे पाकिस्तान को सपोर्ट मिलता है.''

ये भी सच है कि बीजेपी ने सत्ता में रहने के दौरान कश्मीर पर बातचीत के लिए मज़बूत पहल की है जो कि कांग्रेस नहीं कर पाई. जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गठबंधन की सरकार थी, तब भी वो बस से पाकिस्तान पहुंच गए थे.

वाजपेयी के बाद दस सालों तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कभी पाकिस्तान नहीं गए. दूसरी तरफ़ मोदी के पीएम बने एक साल भी नहीं हुआ था कि वो बिना किसी घोषणा के पाकिस्तान पहुंच गए थे.

कश्मीर को लेकर दोनों देशों में भावनाओं का ध्रुवीकरण काफ़ी मज़बूत है. दोनों देशों की सियासी पार्टियों के लिए यह ध्रुवीकरण फ़ायदे के लिए होता है.

कई लोग इस बात को भी मानते हैं कि भारत में बीजेपी सत्ता में होती है तो पाकिस्तान को मुख्यधारा की राजनीति में जिहादी समूहों की सक्रियता को सही ठहराने में मदद मिलती है.

मुबारक़ अली कहते हैं, ''भारत में बीजेपी के शासन में अगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ कुछ होता है तो पाकिस्तान में एक आम सोच ये बनती है कि जिन्ना ने मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान बनाकर बिल्कुल सही किया था. लोग कहना शुरू कर देते हैं कि अगर पाकिस्तान नहीं बनता तो सभी मुसलमानों के साथ यही होता. पाकिस्तान में सियासी पार्टियों को एक मज़बूत तर्क मिल जाता है. जिहादी संगठन भी कहना शुरू कर देते हैं कि धर्म के आधार पर भारत का बँटना कितना ज़रूरी था.''

मुबारक़ अली कहते हैं कि पाकिस्तान में जब हिन्दुओं पर अत्याचार होता है तो यह बीजेपी को रास आता है क्योंकि इसके आधार पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिन्दुओं को लामबंद करने का हथियार मिल जाता है.

वो कहते हैं, ''पाकिस्तान में हिन्दू बहुत कम संख्या में बचे हैं. जो हैं भी, वो दीन-हीन स्थिति में हैं. पाकिस्तान की सियासी पार्टियों को हिन्दुओं का डर दिखाकर पाकिस्तान में मुसलमानों को लामबंद करने का आधार नहीं मिल पाता है. ऐसे में पाकिस्तान की सियासी पार्टियां भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाले वाक़यों का इस्तेमाल करती हैं. जिहादी ग्रुपों को भी एक बहाना मिल जाता है कि भारत के मुसलमान कितने संकट में हैं.''

क्या बीजेपी के सत्ता में होने से पाकिस्तान के जिहादी समूहों को प्रासंगिकता मिलती है? इस सवाल के जवाब में बीजेपी नेता शेषाद्री चारी कहते हैं, ''पाकिस्तान अपने देश के मुसलमानों की चिंता करे. हिन्दुओं की सुरक्षा की उम्मीद तो इनसे नहीं ही कर सकते. मोदी दोबारा प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के चाहने से नहीं बनेंगे. मोदी को प्रधानमंत्री यहां की जनता बनाएगी.''

लेकिन भारत में किसी मुसलमान को गोमांस के नाम पर पीट-पीट कर मार दिया जाता है और समझौता ट्रेन ब्लास्ट में किसी को सज़ा नहीं मिलती है तो क्या इन चीज़ों का इस्तेमाल पाकिस्तानी जिहादी समूह अपनी प्रासंगकिता साबित करने में नहीं करते हैं?

Monday, April 8, 2019

किसान क्रेडिट कार्ड पर 1 लाख का कर्ज 5 साल ब्याज मुक्त रहेगा, सभी किसानों को सम्मान निधि

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया। इसमें देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर फोकस करते हुए 75 संकल्पों को रखा गया है। दावा किया गया कि इसे छह करोड़ लोगों की मदद से तैयार किया गया। इसे ‘संकल्पित भारत, सशक्त भारत’ नाम दिया गया है।

घोषणा पत्र में भाजपा के वादे
भाजपा के प्रमुख मुद्दे : यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भाजपा की प्रतिबद्धता बनी रहेगी। नागरिकता संशोधन विधेयक दोनों सदनों से पास कराएंगे और उसे लागू करेंगे, लेकिन किसी राज्य की संस्कृति और भाषाई पहचान को बचाएंगे। राम मंदिर के संकल्प को भी हम दोहराते हैं। हमारा प्रयत्न होगा कि राम मंदिर का जल्द से जल्द निर्माण हो जाए। कश्मीर से अनुच्छेद 35-ए हटाएंगे।

गांव-किसान : 25 लाख करोड़ रुपए ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में हम खर्च करेंगे। किसानों की आय को हम 2022 तक दोगुना करेंगे। किसान क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले 1 लाख के कर्ज को पांच साल तक ब्याज मुक्ति रखेंगे। सभी किसानों के लिए पेंशन योजना शुरू करेंगे। ताकि 60 साल की उम्र के बाद उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए हम संग्रहालय बनाएंगे। पहाड़ी, आदिवासी और वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में 20 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन पर रसायन मुक्त जैविक खेती को प्रोत्साहित करेंगे।

बुनियादी सुविधा : प्रत्येक परिवार के लिए पक्का मकान, एलपीजी सिलेंडर मुहैया कराएंगे। सभी घरों का 100% विद्युतीकरण करेंगे। हाईवे दोगुने बनाएंगे। जिन रेल मार्गों पर संभव होगा 2022 तक ब्रॉड गेज में बदलेंगे। सभी रेल लाइनों का पूरी तरह विद्युतीकरण करने की कोशिश करेंगे। डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देंगे। सरकारी सेवाओं को डिजिटल बनाएंगे।

शिक्षा, युवा और राेजगार : भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के वाले 22 क्षेत्रों की पहचान करके उनमें रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे। राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान की स्थाना करेंगे। कक्षाओं में स्मार्ट क्लासेज की शुरुआत करेंगे। केंद्रीय, विधि इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रबंधन संस्थानों में पांच साल में 50% सीटें बढ़ाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे। अगले पांच साल में उच्च शिक्षा के 50 उत्कृष्ठ संस्थान स्थापित करेंगे।

स्वास्थ्य : आयुष्मान भारत के तहत 1.25 लाख हेल्थ केयर सेंटर बनाए जाएंगे। 2022 तक 75 चिकित्सा महाविद्यालय या स्नातकोत्तर चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित करेंगे। 2024 तक एमबीबीएस और विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या दोगुनी करेंगे। कोशिश करेंगे की हर 1400 मरीजों पर एक डॉक्टर उपलब्ध हो। 2022 तक सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण सुनिश्चित करेंगे।

सुरक्षा : आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी रहेगी। भारत में होने वाली घुसपैठ को हम सख्ती से रोकेंगे।
महिला : सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इसे अब हर क्षेत्र में बढ़ाएंगे। संविधान संशोधन कर संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

व्यापारी : राष्ट्रीय व्यापार आयोग बनाएंगे जो व्यापारियों और बिजनेसमैन की चिंता करेगा। दुकानदारों को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन देंगे। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंक और बेहतर करेंगे। निर्यात दोगुना करेंगे। उद्योंगों के लिए एकल खिड़की और अनुपालना विभाग बनाने पर काम करेंगे।

संकल्प पत्र की घोषणा के दौरान मोदी ने कहा, ‘‘2014 से 2019 में हमारे कार्यों में सामान्य लोगों की जो जरूरतें हैं उन्हें हमने एड्रेस किया। देश जिन सपनों के साथ चल पड़ा है। जो 1950-60 के कालखंड में होना था वो मुझे 14 से 19 में करना पड़ा। पहले हमने जरूरतों को पूरा करने के लिए योजनाएं चलाईं और अब देश के सपनों को पूरा करने के लिए काम करेंगे। गरीबी से लड़ना है तो दिल्ली में एसी में बैठे लोग गरीबी को परास्त नहीं कर सकते। मैं भी एसी में बैठता हूं इसलिए ऐसा कोई दावा नहीं कर सकता। गरीब ही गरीबी को खत्म कर सकता है।’’

शाह ने कहा- मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था 11वें से 6वें नंबर पर लाई
घोषणा पत्र जारी होने से पहले अमित शाह ने कहा- 2014 से 2019 की यात्रा का जब भी इतिहास लिखा जाएगा तब यह पांच साल स्वर्ण अक्षरों में अंकित करने पड़ेंगे। इन पांच सालों में भाजपा ने एक निर्णायक सरकार देने का काम किया गया। 50 करोड़ गरीबों को उठाने के लिए काम हुआ है। मोदीजी की सरकार ने जरूरतमंदों तक गैस सिलेंडर, बिजली, घर, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का सफल प्रयास किया। देश की अर्थव्यवस्था के बारे में पूरी दुनिया को सोचना पड़े ऐसा काम मोदी सरकार ने किया है। हमारी अर्थव्यवस्था 2014 में ग्यारहवें नंबर पर थी। आज छठवें स्थान पर पहुंच गए हम और तेजी से पांचवें स्थान की तरफ बढ़ रहे हैं।

मंच पर 7 नेता, आडवाणी-जोशी नहीं
संकल्प पत्र जारी करने के मौके पर भाजपा के मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, थावरचंद गहलोत और रामलाल मौजूद थे। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी मंच पर नहीं थे। 2014 और इससे पहले लगभग हर मौकों पर इन दोनों नेताओं की मौजूदगी में ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी किया था।

Friday, April 5, 2019

मोर्गन ने स्नो बोर्ड में पहली बार इंग्लैंड को मेडल दिलाया, अब टीवी सीरीज में स्टंट करेंगे

खेल डेस्क. इंग्लैंड के स्नो बोर्ड खिलाड़ी बिली मोर्गन हाल ही में ब्रिटिश टेलीविजन के लिए एक सीरीज करके लौटे हैं। इसमें वे स्टंट करते नजर आएंगे। मोर्गन ने 2018 विंटर ओलिंपिक में इंग्लैंड को स्नो बोर्ड में पहला मेडल दिलाया था। जल्द ही यह सीरीज देखने को मिलेगी। वहीं इंग्लिश फुटबॉल क्लब मैनचेस्टर सिटी के लिए 500 से अधिक मैच खेलने वाले जर्मनी बर्ट ट्राउटमैन पर बनी फिल्म ‘द गोलकीपर’ तैयार है। इसमें खिलाड़ी के सेना में नौकरी से खेल के मैदान तक के उनके सफर को दिखाया गया है। वे कई टीमों के कोच भी रह चुके हैं। फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो रही है।

मोर्गन 14 की उम्र से स्नो बोर्डिंग कर रहे हैं
बिली मोर्गन ने शौकिया स्नो बोर्डिंग शुरू की। 2018 में प्योनचेंग में हुए विंटर ओलिंपिक में उन्होंने ब्रॉन्ज जीता। पिछले दिनों वे रोमानिया में ब्रिटिश टेलीविजन के लिए एक सीरीज करके लौटे हैं। इस बारे में उन्होंने कहा कि मैं सीरीज में स्टंट करता दिखूंगा। यह अनुभव मेरे लिए काफी शानदार रहा। हालांकि उन्होंने 2022 बीजिंग ओलिंपिक में उतरने पर अभी फैसला नहीं किया है। मोर्गन 14 की उम्र से स्नो बोर्डिंग कर रहे हैं। लेकिन 2009 तक इस खेल को लेकर अधिक गंभीर नहीं थे।

2016 में मोर्गन को दाएं घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा
उन्होंने बताया कि मैं 2010 में इंटरनेशनल ब्रिट्स इवेंट में उतरा और चैंपियन बना। इसके बाद मुझे ब्रिटेन की टीम में शामिल किया गया। 2016 में उन्हें दाएं घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा। इसके बाद भी वे ओलिंपिक क्वालिफाई करने में सफल रहे। 2018 में बिग एयर इवेंट को ओलिंपिक में शामिल किया गया। बिग एयर इवेंट में खिलाड़ी को स्केटबोर्ड से हवा में जंप लगाना होता है। मोर्गन को इसमें उतरने का मौका मिला और वे मेडल जीतने में सफल रहे।

उन्होंने बताया कि मैं अपनी बायोग्राफी भी लिख रहा हूं। वे इस सप्ताह स्विट्जरलैंड में होने वाले ब्रिटिश चैंपियनशिप में उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं रेस में किसी के खिलाफ उतरने के लिए शामिल नहीं होता हूं। मैं यहां इंज्वाय करने के लिए आता हूं।

ट्राउटमैन वर्ल्ड वार में जर्मनी के लिए लड़े
बर्ट ट्राउटमैन जर्मनी की सेना में थे। 1944 में दूसरे वर्ल्ड वार के समय अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया और विगान के बने कैंप में रख दिया। इसके बाद वे यहीं रहने लगे। वे एक अच्छे गोलकीपर थे। शुरुआत में इन्होंने ओल्ड लंकाशायर के लिए खेलना शुरू किया। 1949 में ये मैनचेस्टर सिटी आ गए और क्लब के लिए 545 मैच खेले। ट्राउटमैन के इन्हीं संघर्ष को फिल्म में दिखाया गया है।

एफए कप फाइनल में खेलने वाले पहले जर्मन खिलाड़ी
1923 में जर्मनी के ब्रेमेन शहर में जन्में ट्राउटमैन नाजी सेना की इनफेंट्री डिविजन में थे। उन्हें पांच अवॉर्ड भी मिले। सिटी की टीम 1956 में एफए कप के फाइनल में पहुंची। वे टूर्नामेंट का फाइनल खेलने वाले जर्मनी के पहले खिलाड़ी बने। वे 1949 से लेकर 1964 तक सिटी के लिए खेले। 15 अप्रैल 1964 को खेले उनके अंतिम मुकाबले को देखने के लिए 60 हजार फैंस मैदान में पहुंचे।

ट्राउटमैन 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए
सिटी से रिटायर होने के बाद 41 की उम्र में क्लब वेलिंगटन टाउन ने 50 पाउंड प्रति मैच के हिसाब से ट्राउटमैन से अनुबंध किया। हालांकि वे केवल दो ही मैच खेल सके। वे 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए। टीम को ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कराया। इसके बाद उन्होंने कई क्लब और पांच से अधिक देशों में कोचिंग दी। 2004 में इन्हें ब्रिटेन का प्रतिष्ठित अवॉर्ड ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ दिया गया।