खेल डेस्क. इंग्लैंड के स्नो बोर्ड खिलाड़ी बिली मोर्गन हाल ही में ब्रिटिश टेलीविजन के लिए एक सीरीज करके लौटे हैं। इसमें वे स्टंट करते नजर आएंगे। मोर्गन ने 2018 विंटर ओलिंपिक में इंग्लैंड को स्नो बोर्ड में पहला मेडल दिलाया था। जल्द ही यह सीरीज देखने को मिलेगी। वहीं इंग्लिश फुटबॉल क्लब मैनचेस्टर सिटी के लिए 500 से अधिक मैच खेलने वाले जर्मनी बर्ट ट्राउटमैन पर बनी फिल्म ‘द गोलकीपर’ तैयार है। इसमें खिलाड़ी के सेना में नौकरी से खेल के मैदान तक के उनके सफर को दिखाया गया है। वे कई टीमों के कोच भी रह चुके हैं। फिल्म शुक्रवार को रिलीज हो रही है।
मोर्गन 14 की उम्र से स्नो बोर्डिंग कर रहे हैं
बिली मोर्गन ने शौकिया स्नो बोर्डिंग शुरू की। 2018 में प्योनचेंग में हुए विंटर ओलिंपिक में उन्होंने ब्रॉन्ज जीता। पिछले दिनों वे रोमानिया में ब्रिटिश टेलीविजन के लिए एक सीरीज करके लौटे हैं। इस बारे में उन्होंने कहा कि मैं सीरीज में स्टंट करता दिखूंगा। यह अनुभव मेरे लिए काफी शानदार रहा। हालांकि उन्होंने 2022 बीजिंग ओलिंपिक में उतरने पर अभी फैसला नहीं किया है। मोर्गन 14 की उम्र से स्नो बोर्डिंग कर रहे हैं। लेकिन 2009 तक इस खेल को लेकर अधिक गंभीर नहीं थे।
2016 में मोर्गन को दाएं घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा
उन्होंने बताया कि मैं 2010 में इंटरनेशनल ब्रिट्स इवेंट में उतरा और चैंपियन बना। इसके बाद मुझे ब्रिटेन की टीम में शामिल किया गया। 2016 में उन्हें दाएं घुटने का ऑपरेशन कराना पड़ा। इसके बाद भी वे ओलिंपिक क्वालिफाई करने में सफल रहे। 2018 में बिग एयर इवेंट को ओलिंपिक में शामिल किया गया। बिग एयर इवेंट में खिलाड़ी को स्केटबोर्ड से हवा में जंप लगाना होता है। मोर्गन को इसमें उतरने का मौका मिला और वे मेडल जीतने में सफल रहे।
उन्होंने बताया कि मैं अपनी बायोग्राफी भी लिख रहा हूं। वे इस सप्ताह स्विट्जरलैंड में होने वाले ब्रिटिश चैंपियनशिप में उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं रेस में किसी के खिलाफ उतरने के लिए शामिल नहीं होता हूं। मैं यहां इंज्वाय करने के लिए आता हूं।
ट्राउटमैन वर्ल्ड वार में जर्मनी के लिए लड़े
बर्ट ट्राउटमैन जर्मनी की सेना में थे। 1944 में दूसरे वर्ल्ड वार के समय अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया और विगान के बने कैंप में रख दिया। इसके बाद वे यहीं रहने लगे। वे एक अच्छे गोलकीपर थे। शुरुआत में इन्होंने ओल्ड लंकाशायर के लिए खेलना शुरू किया। 1949 में ये मैनचेस्टर सिटी आ गए और क्लब के लिए 545 मैच खेले। ट्राउटमैन के इन्हीं संघर्ष को फिल्म में दिखाया गया है।
एफए कप फाइनल में खेलने वाले पहले जर्मन खिलाड़ी
1923 में जर्मनी के ब्रेमेन शहर में जन्में ट्राउटमैन नाजी सेना की इनफेंट्री डिविजन में थे। उन्हें पांच अवॉर्ड भी मिले। सिटी की टीम 1956 में एफए कप के फाइनल में पहुंची। वे टूर्नामेंट का फाइनल खेलने वाले जर्मनी के पहले खिलाड़ी बने। वे 1949 से लेकर 1964 तक सिटी के लिए खेले। 15 अप्रैल 1964 को खेले उनके अंतिम मुकाबले को देखने के लिए 60 हजार फैंस मैदान में पहुंचे।
ट्राउटमैन 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए
सिटी से रिटायर होने के बाद 41 की उम्र में क्लब वेलिंगटन टाउन ने 50 पाउंड प्रति मैच के हिसाब से ट्राउटमैन से अनुबंध किया। हालांकि वे केवल दो ही मैच खेल सके। वे 1970 में बर्मा नेशनल टीम के कोच बनाए गए। टीम को ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कराया। इसके बाद उन्होंने कई क्लब और पांच से अधिक देशों में कोचिंग दी। 2004 में इन्हें ब्रिटेन का प्रतिष्ठित अवॉर्ड ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ दिया गया।
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